भोपाल [जनकल्याणम मेल] कार्यपालक निदेशक प्रो. (डॉ.) अजय सिंह के मार्गदर्शन में एम्स भोपाल जनस्वास्थ्य से जुड़े प्रभावशाली कार्यों को निरंतर आगे बढ़ा रहा है। इसी क्रम में हाल ही में “हॉस्पिटल कॉर्नियल रिट्रीवल प्रोग्राम” के अंतर्गत एम्स भोपाल के नेत्र विभाग ने एक नेत्रदान के माध्यम से दो व्यक्तियों को नई रोशनी प्रदान की। मध्यप्रदेश की 54 वर्षीय दिवंगत नेत्रदाता, श्रीमती माधुरी विश्वरूप, ने मरणोपरांत अपनी दोनों आँखें दान कीं, जिससे दो लोगों की जिंदगी रोशन हो सकी। पहली पुतली का प्रत्यारोपण 65 वर्षीय पुरुष को किया गया, जो सूखी आँख (ड्राय आई) और चोट के कारण दृष्टिहीनता का सामना कर रहे थे। उन्होंने कई अस्पतालों में इलाज कराया था, लेकिन डोनर न मिलने के कारण उन्हें राहत नहीं मिली। एम्स भोपाल में उन्हें नई पुतली लगाई गई। ऑपरेशन के बाद जब उन्हें रोशनी लौटनी शुरू हुई तो वह भावुक हो गए और रोते हुए बोले, “अब मैं खाना देख कर खा सकता हूँ।” उन्होंने डॉक्टरों का हृदय से धन्यवाद करते हुए कहा, “डॉक्टर वास्तव में भगवान का रूप हैं।” दूसरी पुतली का प्रत्यारोपण 65 वर्षीय महिला को किया गया, जिनकी आंख की एंडोथेलियल लेयर खराब हो चुकी थी। सफल ऑपरेशन के बाद उन्हें भी दृष्टि प्राप्त हुई। दोनों ऑपरेशन सफलतापूर्वक संपन्न हुए और यह एम्स भोपाल की प्रतिबद्धता का प्रमाण हैं कि कैसे नेत्रदान के माध्यम से जीवन में प्रकाश लाया जा सकता है। इस मौके पर नेत्र विभाग के प्रमुख ने कहा कि कॉर्नियल ट्रांसप्लांटेशन केवल चिकित्सा प्रक्रिया नहीं, बल्कि एक मानवीय अभियान है। यह समाज में जागरूकता, करुणा और आशा का संचार करता है। एम्स भोपाल की ओर से नेत्रदाता माधुरी विश्वरूप के परिवार के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त किया गया, जिन्होंने इस अमूल्य निर्णय से दो ज़िंदगियों को रोशनी दी। इस अवसर पर कार्यपालक निदेशक प्रो. (डॉ.) अजय सिंह ने कहा, “यह उदाहरण है कि कैसे एक निस्वार्थ निर्णय दो लोगों की ज़िंदगी बदल सकता है। नेत्रदान मानवता की सच्ची अभिव्यक्ति है और एम्स भोपाल इस दिशा में सेवा और जागरूकता को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है। हम इस महान कार्य के लिए डोनर परिवार को नमन करते हैं।”