हक की लड़ाई, शांति और स्वाभिमान के साथ गुना में शुरू हुआ दिव्यांग स्वाभिमान प्रदर्शन ...

कलेक्टोरेट बंगला पहुंचे दिव्यांगों ने कहा कलेक्टर हमें भोजन कराएं या हम उन्हें बना कर खिलाएं


गुना [जनकल्याण मेल] जिले में रविवार को एक अनोखा और शांतिपूर्ण प्रदर्शन देखने को मिला, जब दिव्यांगजनों ने अपनी विभिन्न मांगों को लेकर स्वाभिमान अभियान की शुरुआत की। इस अभियान की सबसे खास बात यह है कि इसमें नारेबाजी, सडक़ जाम या धरना नहीं, बल्कि जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों के साथ बैठकर भोजन करने की रणनीति अपनाई गई है। इसी के तहत पहले दिन दिव्यांगजन कलेक्टर निवास के बाहर पहुंचे और प्रतीकात्मक रूप से कहा - या तो कलेक्टर हमें भोजन कराएं या हम उन्हें बना कर खिलाएं। 

हालांकि इस आंदोलन के पक्षधर लोग भी ऐसी मांग से असहमत दिखे. जिससे आंदोलन का वह असर दिखाई नहीं दिया जो इनके पूर्ववर्ती आंदोलन मे दिखाई दिया था.

दरअसल सुबह से ही दर्जनों दिव्यांगजन अपने तय कार्यक्रम के तहत कलेक्टर निवास के सामने एकत्रित हो गए। हालांकि, सुरक्षा कारणों से उन्हें बंगले के अंदर प्रवेश नहीं दिया गया, लेकिन वे शांतिपूर्वक बाहर ही बैठ गए और अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। सूचना मिलते ही एसडीएम शिवानी पांडे, तहसीलदार गौरीशंकर बैरवा और कैंट थाना प्रभारी अनूप भार्गव सहित प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंचे। बातचीत के बाद सभी दिव्यांगों को कलेक्ट्रेट कार्यालय स्थित जनसुनवाई कक्ष में ले जाया गया। यहां प्रशासन द्वारा सभी के भोजन की व्यवस्था की गई और होटल से खाना मंगवाकर परोसा गया। इस दौरान कलेक्टर भी वहां पहुंचे और उपस्थित दिव्यांगजनों की समस्याएं सुनीं। उन्होंने आश्वासन दिया कि स्थानीय स्तर पर संभव सभी मांगों को प्राथमिकता से निपटाया जाएगा। इस दौरान कलेक्टोरेट में एकता का नजारा देखने को मिला जब एक दिव्यांग की सायकिल पंचर हो गई, तो दूसरे दिव्यांग ने कलेक्टोरेट ने उसकी सायकिल की पंचर बनाई।

शांतिपूर्ण लेकिन सशक्त आंदोलन

दिव्यांगजन इस आंदोलन को ‘स्वाभिमान प्रदर्शन’ कह रहे हैं, जिसमें वे किसी से टकराव नहीं, बल्कि संवाद की राह अपना रहे हैं। उनका कहना है कि वे अपने हक के लिए विनम्रता से लड़ रहे हैं, ताकि समाज को यह संदेश मिले कि अधिकार मांगने की भी गरिमा होती है। इस आंदोलन की रूपरेखा नौ दिनों की बनाई गई है, जिसमें वे जिले के सभी प्रमुख जनप्रतिनिधियों और राजनीतिक दलों के प्रमुखों के निवास पर पहुंचेंगे, भोजन साझा करेंगे और ज्ञापन सौंपेंगे।


आंदोलन की मुख्य मांगें...

दिव्यांग समुदाय की मुख्य मांगों में सबसे अहम है पेंशन राशि में बढ़ोतरी। वर्तमान में उन्हें 600 प्रति माह पेंशन मिलती है, जिसे बढ़ाकर 1500 करने की मांग की जा रही है। इसके अलावा वे बस किराए में 50 फीसदी छूट के प्रभावी क्रियान्वयन की भी मांग कर रहे हैं, क्योंकि निजी बस संचालक अक्सर पूरा किराया वसूलते हैं। इसके अलावा बिजली बिल में पूरी छूट, दिव्यांग आयोग का गठन, दिव्यांग व्यक्ति को आयुक्त पद पर नियुक्त करना, दिव्यांग सशक्तिकरण विभाग को अलग मंत्रालय बनाना, सरकारी दुकानों की नीलामी में 6 फीसदी आरक्षण, पंचायत, नगरीय निकाय, विधानसभा और संसद में 6त्न सीटें आरक्षित करना तथा स्वरोजगार के लिए 10 लाख तक का बिना गारंटी सरकारी ऋण देने की मांग की।

अब विधायक निवास की ओर बढ़ेगा कारवां ...

अभियान के अगले चरण में सोमवार को दिव्यांगजन गुना विधायक के निवास पर पहुंचेंगे, जहां वे भोजन के साथ अपनी मांगों से उन्हें अवगत कराएंगे। इसके बाद यह क्रम अन्य विधायकों, सांसद कार्यालय और राजनीतिक दलों के जिला अध्यक्षों के घरों तक चलेगा।

इनका कहना है...

आज दिव्यांगजनों का अपनी मांगों को लेकर अनोखी पहल की थी। उनकी कोशिश थी कि अधिकारी-जनप्रतिनिधियों के घर जाकर खाना के साथ अपनी मांगें रखी। चूंकि प्रशासनिक व्यवस्थाओं में कई सारी चीजें होती हैं। आपको वो बातें कहनी है जो ऑफिशियल होती है तो उसके लिए ऑफिस ही सबसे अच्छी जगह होती है। मुझे खुशी है उन्होंने मेरी बातें मानी। आज हमने उनकी बातें सुनी और अपना पक्ष भी रखा। दिव्यांगों की मांगों को लेकर डाटाबेस बनाएंगे और जो भी उनके मुद्दे हैं उनका निराकरण करने की कोशिश करेंगे। लोकल मुद्दे हम जल्द बैठककर हल करने की कोशिश करें, जबकि प्रदेश स्तर के मुद्दे हम प्रदेश में भेजेंगे। कोई भी बात हवा में न हो, डाटाबेस के साथ काम करेंगे। हमने उनके साथ लंच भी किया है वह संतुष्ट हैं।

 - किशोर कन्याल, कलेक्टर गुना

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