दिव्यांगजनों की गरिमा और आत्मनिर्भरता को साकार करता एम्स भोपाल का ‘दोस्त अभियान’



भोपाल [जनकल्याणम मेल] एम्स के कार्यपालक निदेशक प्रो. (डॉ.) अजय सिंह के मार्गदर्शन में संस्थान द्वारा दिव्यांगजनों एवं विशेष आवश्यकताओं वाले व्यक्तियों के लिए संस्थान को पूर्णतः सुलभ और समावेशी बनाने की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल की गई है। इस उद्देश्य को लेकर 7 नवम्बर 2023 को ‘दोस्त अभियान’ (DOST- Divyangjan Oriented Structural Transformation) का शुभारंभ प्रो. (डॉ.) अजय सिंह द्वारा किया गया। यह अभियान भारत सरकार के सुगम्य भारत अभियान की भावना के अनुरूप चलाया जा रहा है और अब यह एम्स भोपाल का एक प्रमुख अभियान बन गया है।

‘दोस्त अभियान’ के अंतर्गत संस्थान के अस्पताल, मेडिकल कॉलेज, छात्रावासों सहित पूरे परिसर में ढांचागत परिवर्तन किए जा रहे हैं ताकि दिव्यांगजन बिना किसी बाधा के स्वतंत्र रूप से आवागमन कर सकें। इस अभियान के पांच चरणों में काम किया जा रहा है – पहले चरण में अस्पताल, मेडिकल कॉलेज और हॉस्टल भवनों के चिन्हित शौचालयों को दिव्यांगजनों की आवश्यकताओं के अनुसार उन्नत किया गया है; दूसरे चरण में रैम्प, ग्रैब बार और कार्यस्थलों की स्थापना की जा रही है; तीसरे चरण में दिशात्मक संकेतकों, पार्किंग चिन्हों और ग्राउंड मार्किंग्स का काम किया जाएगा; चौथे चरण में पूरे परिसर का एक्सेसिबिलिटी ऑडिट किया जाएगा और पांचवें चरण में ऑडिट की रिपोर्ट के अनुसार पूरे परिसर को दिव्यांगजनों के अनुकूल रूप से अपग्रेड किया जाएगा।

अब तक किए गए कार्यों में सामान्य क्षेत्र के शौचालयों को अपग्रेड किया जा चुका है, वार्डों के शौचालयों को दिव्यांगजनों की आवश्यकताओं के अनुसार संशोधित किया गया है। नर्सिंग कॉलेज के शौचालय, ऑडिटोरियम और मेडिकल कॉलेज बिल्डिंग के शौचालय भी अब सुलभ बनाए जा चुके हैं। इसके अतिरिक्त, लेक्चर थियेटरों, ट्रांजिट हॉस्टल और गर्ल्स हॉस्टल में रैम्प का निर्माण तथा सभी पुराने रैम्पों का उन्नयन भी किया गया है। शारीरिक रूप से दिव्यांग एमबीबीएस छात्र की सुविधा के लिए हॉस्टल में विशेष रैम्प का निर्माण भी किया गया है। ये सभी परिवर्तन सीपीडब्ल्यूडी (CPWD) दिशा-निर्देशों के अनुसार किए गए हैं, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि संस्थान समावेशी एवं बाधारहित वातावरण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को गंभीरता से निभा रहा है। इन संरचनात्मक परिवर्तनों का सीधा लाभ दिव्यांग मरीजों और छात्रों को मिला है। अब व्हीलचेयर का उपयोग करने वाले मरीज और छात्र बिना किसी बाधा के अस्पताल, लेक्चर थियेटर, या हॉस्टल में स्वतंत्र रूप से आवागमन कर पा रहे हैं। कक्षा और हॉस्टल में किए गए बदलावों से दिव्यांग छात्रों की शैक्षणिक भागीदारी भी पहले से अधिक सुगम और सहज हो गई है। संस्थान का यह प्रयास दिव्यांगजनों के लिए न केवल सहूलियत बढ़ाता है, बल्कि उनके आत्म-सम्मान और आत्मनिर्भरता को भी मजबूती देता है।

इस पहल के महत्व पर प्रो. (डॉ.) अजय सिंह ने कहा, “दोस्त अभियान केवल एक पहल नहीं है, बल्कि यह हमारे संस्थान के मूल मूल्यों – करुणा, समावेशिता और गरिमा – का प्रतीक है। एम्स भोपाल यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि हमारे परिसर में आने वाला प्रत्येक व्यक्ति, चाहे वह मरीज हो, छात्र हो या आगंतुक, पूर्ण रूप से सुलभ और सम्मानजनक वातावरण प्राप्त करे। हम ऐसी संरचना और सोच की ओर बढ़ रहे हैं जहां कोई भी पीछे न छूटे।” इस अभियान के अंतर्गत एक लोगो भी तैयार किया गया है, जो संस्थान की इस प्रतिबद्धता का प्रतीक है। अब यह अभियान अपने तीसरे चरण में प्रवेश करने जा रहा है। यह समावेशी पहल एम्स भोपाल को देश के प्रमुख चिकित्सा संस्थानों में एक उदाहरण के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है