लोअर ओर नदी परियोजना के गांव लिधौरा में मुआवजा भुगतान में गड़बड़ी का मामला
फर्जी पंचनामा सहित,एक ही प्रकरण की तैयार की दो पंजी, वर्षों तक नहीं किया खसरा रिकॉर्ड जमा
चंदेरी [जनकल्याण मेल] भू अभिलेख का रखरखाव एवं जमीनो के सही मलिकाना हकों का सही दस्तावेजी करण कर जमीन के मालिकाना हक पर अनावश्यक विवाद और झगड़ों को रोकने का जिम्मा लिए बैठे राजस्व विभाग में पदस्थ पटवारी जिसे शासन ने ग्रामीण स्तर पर एक अधिकारी की जिम्मेदारी सौंप है जो समय-समय पर राजस्व रिकॉर्ड में सही दस्तावेजी करण कर भूमि स्वामियों के मालिकाना हक का निर्धारण करता है परंतु चंदेरी तहसील में इन जिम्मेदारों की एक अलग ही कार्य प्रणाली देखने को मिली है जो जानबूझकर राजस्व रिकॉर्डों में हेरा फेरी कर निज स्वार्थ में लोगों के हितों को प्रभावित करने में कोई कसर नहीं छोड़ते हैं ऐसे कई मामले लिधौरा मुंजप्ता के तत्कालीन हल्का पटवारी द्वारा लोअर ओर नदी परियोजना में राजस्व रिकॉर्ड में भूमि अधिग्रहण मैं किए हैं जहां तत्कालीन हल्का पटवारी राकेश शुक्ला ने जानबूझकर कई आदिवासी वर्ग के लोगों अशिक्षित , कमजोर वर्ग के लोगों के राजस्व रिकॉर्ड में केवल पटवारी फर्जी पंचनामा के आधार पर नामो में परिवर्तन कर हेरा फेरी की है जिसका खामियाजा आदिवासी और कमजोर वर्ग के लोग आज भी भुगत रहे हैं उन्हें ना तो समय रहते मुआवजा मिला है ना ही उनकी जमीन का बाजिव मालिकाना हक।
तत्कालीन हल्का पटवारी द्वारा की गई कारगुजारी के प्रकरण आज भी चंदेरी तहसीलदार, अनुविभागीय अधिकारी चंदेरी, न्यायालय कलेक्टर जिला अशोकनगर में विचाराधीन है जिन प्रकरणों में तहसीलदार चंदेरी तथा अनुभागीय अधिकारी चंदेरी ने भी यह माना है कि दस्तावेजों में जानबूझकर हेरा फेरी , कांट छांट की गई है ऐसे जिम्मेदारों पर तहसील चंदेरी में कोई ठोस कार्रवाई तो नहीं की गई बल्कि उन्हें भूमि अधिग्रहण की मुआवजा वितरण प्रणाली के निर्धारण का मास्टर मानते हुए ऐसी जगह का प्रभार सौंप दिया गया जहां कई अन्य प्रोजेक्ट आने वाले हैं और उस गांव के आसपास की भूमि अधिग्रहण की जाना है।
*तत्कालीन पटवारी राकेश शुक्ला ने जिन प्रकरणों में किया हेर फेर*
1.श्याम लाल पुत्र गनपत लोधी निवासी लिधौरा मुंजप्ता में प्रकरण 9 अ- /अ/2017- 18 न्यायालय तहसीलदार निर्णय दिनांक 06/06/2019 पर सर्वे क्रमांक 105 कुल रकवा 0.899 जो कि संवत 2071 तक के खसरे में दर्ज थी।
जिसे तत्कालीन हल्का पटवारी राकेश शुक्ला द्वारा बिना विक्रय पत्र तथा सक्षम अधिकारी के आदेश के बिना फर्जी तरीके से वीरेंद्र कुमार जैन निवासी पिपरई के नाम सर्वे क्रमांक105 का रकवा 0.627 भूमि स्वामित्व अंकित कर दिया तथा शेष रकवा 0.272 हेक्टेयर श्यामलाल की मृत्यु पश्चात फौती नामांतरण किया जिसमें श्याम लाल लोधी के बारिशन आज भी मुआवजा और जायज हक की लड़ाई लड़ रहे हैं।जो मामला कलेक्टर जिला अशोकनगर के न्यायालय में विचाराधीन है।
2. मेहरबान सिंह पुत्र तोरण सिंह जाति खंगार निवासी लिधौरा मुंजप्ता की भूमि सर्वे क्रमांक 272/1/1/12 कुल रकवा1.000 हे. फर्जी तरीके से तत्कालीन हल्का पटवारी राकेश शुक्ला द्वारा अर्चना, शंकरा आदिवासी के नाम की गई जिस पर न्यायालय अनुविभागीय अधिकारी प्रकरण क्रमांक 2 अ 6 अ/2018-19 निर्णय दिनांक 08/07/2019 पारित किया गया जो आज भी मुआवजा और बाजिव मालिकाना हक की लड़ाई लड़ रहा है।
3. चउदा पुत्र पुनुआ आदिवासी निवासी लिधौरा मुंजप्ता का भूमि सर्वे क्रमांक 272 कुल रकवा 1.000 है.जो कि शासकीय रिकॉर्ड अनुसार संवत 2061 तक के हस्त लिखित खसरे में चउदा पुत्र पुनुआ आदिवासी के नाम दर्ज थी किंतु संवत 2062 से उसे तत्कालीन पटवारी द्वारा जसमन सिंह पुत्र गणपत सिंह जाति अहीर निवासी लिधौरा के नाम प्रविष्टि बिना किसी विक्रय पत्र ,बिना सक्षम आदेश के तथा भू राजस्व संहिता के विपरीत एक आदिवासी की भूमि किसी अन्य जाति के व्यक्ति के नाम कर दी गई जबकि कलेक्टर का आदेश इस प्रकरण में अति आवश्यक था। 4. लाडले पुत्र कमला उर्फ हीरा आदिवासी की शासकीय रिकॉर्ड अनुसार दो सर्वे नंबर जिनमें 26/8 रकवा 1.463है.तथा सर्वे नंबर 266 रकवा 0.261 है .सर्वे नंबर 270 रकवा 0.314 हे.इस प्रकार कुल किता 2.038हे. के मुआवजा हेतु तत्कालीन पटवारी राकेश शुक्ला द्वारा 04/12/2016 को फौती नामांतरण पंजी तैयार की तथा तत्कालीन तहसीलदार से 05/01/2017 को प्रमाणित कराई जिसमें लाडले पुत्र हीरा आदिवासी का मृत्यु प्रमाण पत्र संलग्न नहीं है क्योंकि लाडले की मृत्यु वर्ष 2022 में हुई थी जिसमें तत्कालीन पटवारी राकेश शुक्ला द्वारा लाडले पुत्र हीरा आदिवासी के जीवित रहते हुए 2016 में फर्जी पंजी बनाकर तहसीलदार चंदेरी से प्रमाणित करा कर केवल एक लड़के मिश्री लाल के नाम फौती नामांतरण कर दिया और मुआवजा राशि 20 लाख 38 हजार फर्जी तरीके से डलवाई।
5. हरको बाई बेवा केरा उर्फ केतार पुत्र भैया लाल आदिवासी निवासी लिधौरा मुंजप्ता न्यायालय कलेक्टर जिला अशोकनगर प्रकरण क्रमांक 16/ब-121/2020-21 जिसमें भूमि सर्वे क्रमांक 273/10 कुल रकवा 2.000हे.का पट्टा सन 1972 में केरा पुत्र भैया लाल आदिवासी के नाम से हुआ था उक्त भूमि का आदिवासी से तख्ता पुत्र नौना आदिवासी (तख़तसिंह पुत्र नौने ) कथित यादव निवासी कर मुहारा तहसील व जिला ललितपुर द्वारा फर्जी आदिवासी बनकर विक्रय पत्र संपादित कराया गया जिसमें नामांतरण के संबंध में भी कोई पंजी उपलब्ध नहीं पाई गई उक्त प्रक्रमण में कर मुहारा के सचिव द्वारा भी लेख किया गया है कि इस नाम का कोई आदिवासी व्यक्ति यहां न पहले कभी था न वर्तमान में है तख़त सिंह पुत्र नौने यादव का निवास करना बताया है जिनकी मृत्यु वर्ष 2020 में हो चुकी है । जिस पर पटवारी ग्राम द्वारा वर्ष 2011तक नामांतरण पंजी पर तख्ता पुत्र नौना आदिवासी को फोत बता कर उसके स्थान पर फर्जी सरस्वती बाई पुत्री तख्ता नाम की महिला के नाम नामांतरण पंजी भरकर दिनांक 25/ 5/ 2016 को नामांतरण आदेश कराया गया उक्त पंजी में भी तारीखों में काट छांट की गई है साथ ही 2011 में पंजी भरने के उपरांत 2016 में प्रमाणित कराया जाना भी संकासपद है। 2019 तक कोई अमल राजस्व रिकॉर्ड में नहीं किया गया वर्ष 2019 में तत्कालीन पटवारी द्वारा अमल किया गया तथा एक ही प्रकरण की दो पंजी बना कर माननीय न्यायालय को भी गुमराह किया वह विचारणीय होकर जांच योग्य है।
6.गोविंदा,वीरन पुत्र गण उमरौआ जाति अहिरवार की भूमि सर्वे क्रमांक 209/1/क/मिन 1कुल रकवा 0.209 हे.तथा सर्वे क्रमांक 209/1/क/मिन 2 कुल रकवा जिसका तत्कालीन पटवारी राकेश शुक्ला ने फर्जी फौती नामांतरण पंजी आवेदन दिनांक 01/01/2017 तथा नामांतरण प्रविष्टि दिनांक 05/01/2017 महज 5 दिन में तैयार कर पंजी में कोमल की वारिस बबीता तथा पंचनामा में सूरज बाई दर्ज कर लगभग 8 लाख रुपए का मुआवजा अपने मिलने वाले परिचित के खाते में डलवाया गया। जबकि ये दोनों ही महिलाएं नई बस्ती फतेहाबाद निवासी होकर सूरज बाई पुत्री कोमल अहिरवार हलनपुर तथा बबीता मूलतः मिनोरा जिला ललितपुर उत्तरप्रदेश की निवासी है।
*तत्कालीन हल्का पटवारी ने संवत 2067 से 2071 तक का खसरा राजस्व रिकॉर्ड में नहीं किया जमा*
*सूचना के अधिकार में हुआ खुलासा*
लोअर ओर नदी परियोजना की मुआवजा वितरण प्रणाली में लिधौरा मुंजप्ता में अनियमित तरीके से शासकीय रिकॉर्ड दस्तावेजों में हेरा फेरी कर जो गड़बड़ियां तत्कालीन हल्का पटवारी राकेश शुक्ला ने की थी अपनी कमियों एवं जांच को छुपाने के उद्देश्य सहित , कानूनी प्रक्रिया को प्रभावित करने के उद्देश्य से तत्कालीन हल्का पटवारी द्वारा लिधौरा मुंजप्ता का प्रभार छोड़ने के कई वर्षों तक संवत 2067 से 2071 तक का हस्त लिखित खसरा शासकीय रिकॉर्ड में जमा नहीं कराया गया इस बात का खुलासा सूचना के अधिकार अधिनियम में चाही गई जानकारी मे हुआ जब आवेदक निर्मल विश्वकर्मा द्वारा लिधौरा मुंजप्ता के संवत 2067 से 71 तक के खसरे की हस्तलिखित प्रमाणित प्रतिलिपि चाही गई तहसीलदार चंदेरी द्वारा हल्का पटवारी राकेश शुक्ला द्वारा रिकॉर्ड शाखा में रिकॉर्ड जमा ना करने पर आदेश पत्र जारी कर रिकॉर्ड जमा करवाया इस समस्त घटनाक्रम से यह स्पष्ट होता है कि तत्कालीन हल्का पटवारी के द्वारा लिधौरा मुंजप्ता के प्रभार में रहते हुए मनमाने तरीके से शासकीय रिकॉर्ड में हेरा फेरी कर व्यापक स्तर पर शासन को आर्थिक क्षति पहुंचाई है ।